
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अंतिम चरण में हुए Tianjin शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दोस्ताना तस्वीरों ने वैश्विक राजनीति में एक नया संदेश दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में टिप्पणी की कि “ऐसा लगता है मानो हमने भारत और रूस खो दिए हैं—वह भी सबसे गहरे और अंधेरे चीन के हाथों”।
उनका यह बयान SCO सम्मेलन के प्रतीकात्मक एकजुटता की प्रतिक्रिया था, जहाँ मोदी, पुतिन और शी साथ में खड़े दिखे—जो वैश्विक शक्ति संतुलन में अमेरिका की गिरती भूमिका की तरफ संकेत करता है। अमेरिकी विदेश नीति के असंगत रुख से नाराज ट्रंप ने बीच में ही रिश्ते तोड़कर चीन की ओर झुकने का कड़ा संकेत समझा।
हालाँकि, कुछ समय बाद ट्रंप ने फिर से अपना रुख बदलते हुए पीएम मोदी को “एक महान मित्र” बताया और दोनों देशों के खास संबंधों को दोहराया। वहीं, विदेश मंत्रालय ने इस सभी बयानबाज़ी पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
SCO सम्मेलन की व्यापक छवि
इस शिखर सम्मेलन में गैर-पश्चिमी देशों के लगभग 20 नेताओं की उपस्थिति—जिसमें मोदी, पुतिन और शी शामिल थे—ने चीन की वैश्विक संभावित नेतृत्व क्षमता को और मजबूत किया। इसने “बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था” की ओर कदम बढ़ाने का संदेश दिया, जहाँ अमेरिकी प्रभुत्व कम होता जा रहा है।
अमेरिकी मीडिया में यह तस्वीरें “नई विश्व व्यवस्था” और “पश्चिम की बेदखली” के प्रतीक मानी जा रही हैं—विशेषकर CNN के वान जोन्स ने टिप्पणी की कि इस तस्वीर ने “हर अमेरिकी की रूह को कंपा देना चाहिए”।
भारत की रणनीति—मल्टी-अलाइनमेंट कायम
भारत ने ट्रंप की आलोचना के बीच अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को प्रमाणित किया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ भारत का संबंध “बहुत सकारात्मक और दूरदर्शी” है, और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साझा की गई जो प्रतिक्रिया आई—उसमें सामान्यता और ठंडे दिमाग की झलक पाई गई।



