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ational Pension System (NPS) और Unified Pension Scheme (UPS) में नए ‘LC-75’ और ‘BLC’ विकल्प की घोषणा

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केंद्रीय सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पेंशन निवेश विकल्पों में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे उनके रिटायरमेंट फंड को बेहतर और अधिक लचीले तरीके से संभालना संभव हो गया है।

क्या है नया बदलाव?

आर्थिक मंत्रालय ने घोषणा की है कि अब NPS और UPS दोनों के अंतर्गत कर्मचारियों को नए “लाइफ साइकल (LC)” और “बैलैंस्ड लाइफ साइकल (BLC)” विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। प्रमुख रूप से निम्न विकल्प शामिल हैं:

  • “Scheme G” – 100 प्रतिशत निवेश सरकारी प्रतिभूतियों में, न्यूनतम जोखिम के साथ। LC-25 – उम्र 35 से 55 के बीच धीमी दर से इक्विटी (25 % तक) में अल्प निवेश।

  • LC-50 – उम्र 35 से 55 के बीच तक 50 % तक इक्विटी निवेश।

  • BLC – इक्विटी एक्सपोजर को 45 साल उम्र तक जारी रखने का विकल्प; बाद में धीरे-धीरे घटाया जाएगा। LC-75 – अब तक का सबसे अधिक विकल्प, उम्र 35 से 55 तक 75 % तक इक्विटी में निवेश की अनुमति।

इसके पीछे क्या कारण है?

सरकार ने बताया है कि इन नए विकल्पों का उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी जोखिम-संवेदनशीलता (risk-appetite) और निवेश प्राथमिकताओं के अनुरूप पेंशन फंड को आकार देने का अवसर देना है। इसके अलावा, यह कदम कर्मचारियों को रिटायरमेंट प्लानिंग में अधिक नियंत्रण देता है, जिससे उन्हें सिर्फ ‘डिफॉल्ट पैटर्न’ पर निर्भर नहीं रहना होगा।

कर्मचारी-दृष्टि से क्या मायने रखता है?

  • जिन कर्मचारियों को अधिक जोखिम लेने में सहजता है और वे लंबी आयु तक कार्यरत रहने वाले हैं, उनके लिए LC-75 या BLC उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं क्योंकि इन विकल्पों में इक्विटी का अनुपात अधिक है।

  • वहीं, जो कम जोखिम लेना चाहते हैं, या जल्द रिटायरमेंट की ओर देख रहे हैं, वे Scheme G या LC-25 जैसे सुरक्षित विकल्प चुन सकते हैं।

  • यह भी महत्वपूर्ण है कि इन विकल्पों के चयन से पहले कर्मचारियों को अपने सेवा-काल, उम्र, पारिवारिक जिम्मेदारियों तथा वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखना होगा।

क्या ध्यान रखने योग्य बातें हैं?

  • अभी विकल्प चुनने की प्रक्रिया किस तरह होगी, किस समय सीमा के भीतर चयन करना होगा, इन सभी विवरणों का इंतजार है; कर्मचारियों को विभागीय सूचना-विवरण पर नजर रखनी चाहिए।

  • निवेश विकल्प बदलने की सुविधा कितनी होगी, और बदलने की लागत या प्रतिबंध क्या होंगे — इन पहलुओं पर स्पष्टता ज़रूरी है।

  • बदलाव के साथ बाजार-जोखिम भी जुड़ा हुआ है — ज्यादा इक्विटी का विकल्प लेने वाले को बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।

  • पेंशन फंड का प्रदर्शन, बदलाव की अवधि, एवं निवेश की रणनीति समय-समय पर समीक्षा करना बेहतर रहेगा।

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