
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध हाल ही में एक नए राजनीतिक एवं सुरक्षा संकट में प्रवेश कर गए हैं, जिसका मुख्य कारण है पाकिस्तान में बढ़ती टीटीपी (Tehrik-e-Taliban Pakistan) आतंकवादी गतिविधियाँ और अफगानिस्तान से सीमा पार होने वाले हमले। इस्लामाबाद ने काबुल पर दबाव बढ़ाते हुए साफ कर दिया है कि वह आगे सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रधानमंत्री शह्बाज़ शरीफ ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि अफगान तालिबान सरकार को यह तय करना होगा कि वह पाकिस्तान के साथ रिश्ते रखना चाहता है या टीटीपी का साथ देना चाहता है।
घटना-पृष्ठभूमि
टीटीपी द्वारा हमले: पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत एवं अन्य नज़दीकी इलाकों में टीटीपी की बढ़ती हिंसक गतिविधियाँ देखी जा रही हैं। सीमा पार से हमलों की शिकायतें बढ़ी हैं जिनमें भारतीय साझेदारी (India backing) के आरोप भी शामिल किए जा रहे हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान में टीटीपी के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं, अफगान नागरिकों की मौत की अफवाहों के बीच ये हमले “आतंकवादी ठिकानों” को निशाना बताकर किए गए। पाकिस्तान ने अफगानों पर अप्रवासी नीति सख्त की है, अवैध अफगान निवासी खदेड़ दिए गए और व्यापार-परिवहन नीतियों में नियंत्रण कड़ा किया गया है। लगभग 12 लाख अफगान शरणार्थियों को देश से वापस भेजे जाने की प्रक्रिया में बताया गया है।
काबुल की स्थिति: अफगान तालिबान सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है कि वह टीटीपी को संरक्षण दे रही है। अफगान अधिकारियों का कहना है कि वे अपनी सीमा की सुरक्षा करना चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान के हमलों – विशेष रूप से हवाई हमलों – को “उत्तेजना भरे और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन” के रूप में देखते हैं। इस तरह के हवाई हमलों से अफगान नागरिकों की जान जाने की रिपोर्टें भी आई हैं।
तनाव की तीव्रता और संभावित आगे के कदम
पाकिस्तान की चेतावनी यह है कि यदि अफगान सरकार ने सीमा पार हमलों को नहीं रोका, तो इस्लामाबाद “सीधे कार्रवाई” कर सकता है जो कि हवाई हमलों से लेकर अन्य सैन्य उपायों तक हो सकती है।
दोनों देशों के बीच व्यापार और कूटनीतिक चैनल अब भी खुले हैं, लेकिन भरोसा घटा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से आने-जाने वाले माल एवं आवागमन पर कड़े नियंत्रण लगाए हैं ताकि असमाजिक या आतंकवादी गतिविधियों को सीमित किया जा सके। अफगानिस्तान पर दबाव है कि वो टीटीपी के ठिकानों की जानकारी दे, इसके बंदोबस्त करे और उन तक पहुँच को रोके।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि अफगान तालिबान ने टीटीपी के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाये, तो पाकिस्तान की रणनीति और सख्त हो सकती है — जैसे कि सीमा पार गहराई तक हवाई हमले, और अफ़गानी नागरिकों के अधिकारों या आव्रजन नियमों पर और कठोर पहल। इस तरह के कदमों से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है, और दोनों देशों के बीच विश्वास और बातचीत की संभावनाएँ कम हो सकती हैं।