
तमिलनाडु के करूर ज़िले में अभिनेता और राजनेता विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ की घटना ने पूरे राज्य और देशभर में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल मचा दी है। इस हादसे में अब तक 40 लोगों की मौत और 120 से अधिक लोग घायल होने की पुष्टि हुई है। यह कार्यक्रम विजय की पार्टी तमिझगा वेट्री कज़गम (TVK) द्वारा आयोजित किया गया था।
पुलिस का बयान: “यह सिर्फ हादसा नहीं था”
करूर पुलिस ने इस मामले में चौंकाने वाला बयान जारी करते हुए कहा कि यह महज़ एक अनियंत्रित हादसा नहीं था, बल्कि एक “deliberate display of power” यानी “जानबूझकर किया गया शक्ति प्रदर्शन” था। पुलिस का दावा है कि आयोजकों ने जानबूझकर भीड़ को बढ़ावा दिया, पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम नहीं किए और भीड़ नियंत्रण के प्रयासों में बाधा पहुंचाई।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कार्यक्रम के लिए अनुमति केवल 5,000 लोगों के लिए दी गई थी, लेकिन现场 पर 10,000 से अधिक लोग इकट्ठा हो गए। रैली स्थल पर उचित प्रवेश और निकास मार्ग नहीं बनाए गए थे, जिससे भीड़ में घबराहट और भगदड़ मच गई।
मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल
इस हादसे में जान गंवाने वालों में कई महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं। अधिकतर लोगों की मौत दम घुटने और कुचलने से हुई। कई घायलों की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। अस्पतालों में अफरातफरी का माहौल है और घायलों के परिजन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को लेकर नाराज़गी जता रहे हैं।
राजनीतिक बयानबाज़ी और CBI जांच की मांग
विपक्षी दलों ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर विजय और उनकी पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराया है। AIADMK और बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह एक “राजनीतिक स्टंट” था, जिसे उचित योजना और प्रशासनिक सहयोग के बिना अंजाम दिया गया।
दूसरी ओर, TVK ने पलटवार करते हुए कहा कि इस घटना के पीछे “राजनीतिक साज़िश” हो सकती है। विजय की पार्टी ने DMK और राज्य पुलिस पर साजिश रचने का आरोप लगाया है और CBI जांच की मांग की है।
विजय की चुप्पी पर सवाल
घटना के बाद विजय ने केवल एक शोक संदेश जारी किया लेकिन प्रेस को कोई बयान नहीं दिया। सोशल मीडिया पर उन्हें लोगों की जान से खेलने और गैर-जिम्मेदार आयोजन करने के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही है। लोग पूछ रहे हैं कि जब जानें गईं तो आयोजकों ने पहले से पुख्ता व्यवस्था क्यों नहीं की।
सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल
राज्य सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन यह भी पूछा जा रहा है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इतने बड़े आयोजन को कैसे अनुमति दी जब पहले से अलर्ट था कि बड़ी संख्या में लोग रैली में शामिल होंगे।



