
2025-11-26 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 नवंबर को हुई 2025 Delhi car explosion — यानी दिल्ली के Red Fort के पास हुए कार धमाके — की जांच अब तक जारी है, लेकिन इस बीच एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, खेतों में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होने वाले अमोनियम नाइट्रेट और NPK, जिन्हें आसानी से विस्फोटक में बदला जा सकता है, आज भी खुला-खुला बिक रहा है।
जांच एजेंसियों की मानें तो धमाके की गाड़ी उसी प्रकार के फर्टिलाइज़र से तैयार की गई थी, जो कि आमतौर पर खेती-बाड़ी में उपयोग होते हैं। इसके बाद भी, हरियाणा में स्थित कुछ दुकानों — विशेषकर फर्टिलाइज़र स्टोर्स — में बिना किसी पहचान पत्र या पंजीकरण के ये रसायन बेचे जा रहे थे। इस खुलासे को रिपोर्ट में ‘ऑपरेशन कुंभकर्ण’ नाम दिया गया है।
इस स्टिंग ऑपरेशन में, एक दुकान पर रिपोर्टर ने फर्टिलाइज़र लेने का प्रयास किया। दुकानदार ने कहा कि “कोई पहचान नहीं चाहिए, टैम्पो भेज दो, सामान पैक करके दे देंगे” — यानी चाहे आप दिल्ली के हों या अन्य जगह के, बिना पहचान या पंजीकरण के भी अमोनियम नाइट्रेट और NPK मिल सकता है। इससे साफ होता है कि धमाके में इस्तेमाल होने वाला सामग्री इकट्ठा करना संदिग्धों के लिए बेहद सुविधाजनक रहा होगा।
रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि इस तरह की आसान बिक्री और नियंत्रण की कमी — न केवल सुरक्षा एजेंसाओं के लिए चुनौती है — बल्कि आम नागरिकों और पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। यदि खाद जैसी सामान्य चीज़ें — जिन्हें आमतौर पर खेती के लिए खरीदा जाता है — बिना नियंत्रण के बिकती रहें, तो आतंकवादी संगठनों को विस्फोटक इकट्ठा करना और भी आसान हो जाएगा।
इसलिए, जांच एजेंसियों और सरकार के सामने अब यह बड़ा सवाल है कि — क्या केवल गिरफ्तारियों से काम चलेगा, या साथ ही फर्टिलाइज़र व रसायनों की बिक्री-खरीद पर सख्त निगरानी की जरूरत है? रिपोर्ट का इशारा है कि एक निष्क्रिय रवैये ने ही 10 नवंबर वाला हादसा संभव बनाया।



