
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को एक साफ संदेश दिया है कि यदि दोनों देशों के बीच चल रही शांति वार्ता सफल नहीं हुई, तो खुले युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रहा है। पाकिस्तान ने यह आरोप लगाया है कि तहरीक‑ए‑तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे आतंकी समूहों को अफगानिस्तान की सीमा से पाकिस्तान में घुसपैठ और हमले करने की अनुमति दी जा रही है। वहीं अफगानिस्तान इस आरोप को अस्वीकार करता रहा है कि उसने प्रभावी कार्रवाई नहीं की।
इनके बीच सीमा विवाद, विशेष रूप से 2,611 किलोमीटर लंबी डूरंड रेखा (Durand Line) को लेकर पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच अनिश्चितता बनी हुई है। अफगानिस्तान इस रेखा को आधिकारिक सीमा के रूप में स्वीकार नहीं करता, जिससे समय-समय पर हिंसा और झड़प की घटनाएं होती रहती हैं।
हाल ही में कतर और तुर्की ने इन दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की है और इिस्तांबुल में वार्ता का दूसरा दौर शुरू हुआ है। मगर ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर इस दौर में ठोस समझौता नहीं हुआ तो पाकिस्तान को युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।
यह बयान इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान ने धैर्य का दायरा सीमित कर लिया है और अब उसने समय-सीमा या ठोस परिणाम पर जोर देना शुरू किया है। यह पहल क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी रणनीति तथा अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों की दिशा में नया मोड़ ला सकती है।
यदि वार्ता विफल होती है, तो यह सिर्फ दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव तक सीमित नहीं रहेगा — इससे दक्षिण एशिया में सुरक्षा-परिस्थिति, शरणार्थियों का प्रवाह, आतंकवादी नेटवर्क की गतिशीलता और वैश्विक शक्तियों की भूमिका सब प्रभावित हो सकते हैं।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अफगानिस्तान इस चेतावनी का क्या जवाब देगा और是不是 वार्ता की प्रक्रिया में कोई नया समझौता आ सकेगा। क्षेत्रीय और वैश्विक मध्यस्थों की भूमिका अब और महत्वपूर्ण बन गई है कि वे इस तनाव को युद्ध के स्तर पर पहुंचने से रोकें।
इस प्रकार, ख्वाजा आसिफ की यह चेतावनी सिर्फ एक कूटनीतिक बयान नहीं बल्कि स्पष्ट संकेत है कि युद्ध-विराम से आगे बढ़ने का पाकिस्तान का मन बना हुआ है—अगर अफगानिस्तान के साथ शांति की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए।



