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अन्नकूट महोत्सव :- अयोध्या में भगवान को लगाए गए छप्पन भोग

अन्नकूट महोत्सव :- अयोध्या में भगवान को लगाए गए छप्पन भोग

भगवान राम जब माता-पिता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष बाद लंका विजय कर वापस अयोध्या पहुंचे तो हर कोई उनके स्वागत में पलक पावड़े बिछाए हुए था । इसलिए पहले पूरी अयोध्या में खुशी के प्रतीक स्वरूप दीपक जलाए गए जिसे दीपावली कहा जाता है तो हर किसी के मन में या बात थी कि 14 वर्ष तक बंद बन भटकते हुए प्रभु राम ने अच्छे व्यंजन नहीं खाए होंगे इसलिए उनके अयोध्या पहुंचने के बाद 56 तरह के पकवान बनाए गए और परोसे गए । आज भी अयोध्या में यह परंपरा कायम है और सभी प्रमुख मंदिरों में 56 तरह के पकवान बनाए जाते हैं और उसे भगवान को भोग लगाया जाता है और लोगों को प्रसाद स्वरूप खिलाया जाता है। इसे ही भारत में अन्नकूट महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है । इसी के साथ सभी प्रमुख मंदिरों में प्रभु राम के स्वागत में गीत और संगीत की अलग-अलग टोलियां भाव विभोर होकर गाती हैं और बजाती हैं और अपने भगवान का स्वागत करती हैं । वही अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में भी सुबह की आरती के बाद व्यंजनों का भोग लगाया गया और भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया गया । वैसे तो दीपावली के दुसरे दिन ही अन्नकूट महोत्सव होता है, किन्तु इस वर्ष ओरिया तिथि की मान्यता के कारण दीपावली के तीसरे दिन संपन्न हुआ।
सत्येंद्र दास ( मुख्य पुजारी जय श्री राम जन्मभूमि मंदिर ) …वहां मंदिर को सजा दिया गया नया वस्त्र पहनाया गया हैं और जो छप्पन प्रकार के जो भोग बने भोग लगाया गया भोग लगाने के बाद आरती किया गया आरती करने के बाद प्रसाद वहां जो लोग उपस्थित रहे वितरण कर दिया गया क्योंकि अन्नकूट का जो पर्व है यह बहुत महत्वपूर्ण है और इसका प्रसाद जो है वह बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इसका जो प्रारंभ हुआ है वह भगवान राम के अयोध्या आने के बाद दीपोत्सव और दीपोत्सव के बाद अन्न उत्सव आपका दूसरा नाम है गोवर्धन छप्पन प्रकार का भोग लगा जब भगवान कृष्ण ने भोग लगाया और जब इंद्र की पूजा होती थी मथुरा में तब उन्होंने कहा कि हम गोवर्धन की पूजा करेंगे वहां पर्वत या भोग गोवर्धन के लिए लगाया गया उसी में इंद्र भी क्रोधित हो गए थे कि जब उनको पता चला कि नहीं जो हमारा प्रयास है वह गलत है यह जो कर रहे हैं वह स्वयं भगवान है भगवान कृष्ण का यह मालूम पड़ा कि वह भगवान है यह दोनों प्रकार की जो गोवर्धन पूजा और अनुकूट अनुकूट की प्रसिद्धियां अयोध्या से है अयोध्या में रामलला के पास लगाया गया भोग क्योंकि यह जो अयोध्या वासियों ने भगवान श्री राम की लाल के लिए 56 प्रकार का भोग बना करके अर्पित किया था इस प्रकार का पर्व है जो सदियों से चला आ रहा है और बहुत ही हर्ष उत्साह के साथ इसको सभी मंदिरों में मनाया जाता है स्मरण करना ईश्वर को भगवान श्री राम लाल को स्मरण करना जो उनका प्रसाद है प्रसाद लगा प्रसाद को प्राप्त करना प्रसाद को ग्रहण करके हमारी जो चिंताएं हैं जो जिस प्रकार से हैं वह समाप्त हो जाती हैं और मन हर्षित हो जाता है प्रसन्न हो जाता है इसलिए प्रसाद का अर्थ होता है प्रसादम हितम प्रसन्नता ।

राजकुमार दास अधिकारी रामवल्लभाकुंज मंदिर ) .. भगवान श्री राम 14 वर्ष वन यात्रा पूरी करके वापस श्री धाम अयोध्या जी आए उसी आगमन पर अयोध्या वासियों ने भगवान के लिए दीपोत्सव का आयोजन किया उसके बाद 56भोग अन्नकूट उत्सव आप कल प्रचलन में है उसे तरह की व्यवस्था करके वैसे तो भगवान विशंभर हैं पूरे विश्व का भरण पोषण करते हैं केवल भाव के भूखे हैं लेकिन अयोध्या वासियों का एक भाव था ठाकुर हमारे वन यात्रा में अनेक प्रकार के कष्ट से गुजरे हैं उनके स्वागत में 56 प्रकार का भोग बनाया गया अर्पित किए वही उत्सव आज अनुकू के उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है आयोजन प्रातः काल भगवान का अभिषेक अभिषेक के बाद मंगला आरती उसके बाद ठाकुर जी का भोग अभी गायन जो संतों के द्वारा रचित पद है उसकी गायन और भगवान को भोग लगा रहा है ।
रामेश्वर दास ..अयोध्या भगवान श्री राघवेंद्र सरकार रावण पर विजय प्राप्त करके 14 वर्ष पूर्ण करने के उपरांत जब अयोध्या पधारे तब अयोध्या वासियों ने अपने-अपने घरों से 56 प्रकार का व्यंजन बना करके प्रभु श्री राघवेंद्र सरकार के पास ले भगवान ने प्रेम पूर्वक उसका पान किया तब से वह परंपरा अयोध्यावासी निर्वहन कर रहे हैं आज भी अयोध्यावासी मंदिरों में प्रसाद बना करके भगवान के समक्ष 56 प्रकार का रखते हैं और भगवान उसको ग्रहण करते हैं प्रार्थना करते हैं कि आप इसको ग्रहण करें भगवान भक्तों के श्रद्धा को देखते हुए ग्रहण करते हैं उसके उपरांत महत्व है भगवान को जो आज के दिन श्रद्धा से 56 प्रकार का व्यंजन आगे रखेंगे तो अन्नपूर्णा महारानी सदैव उनके घर में अन्य का भंडार भर रहेगी कभी भी भोजन के प्रति उनके यहां धारिता नहीं आएगा यही उनका विशेष महत्व है सभी भक्त लोग प्रसाद भगवान से प्राप्त करते हैं प्रभु श्री राघवेंद्र सरकार का सुबह से अभिषेक हुआ उसके बाद सरयू जलती स्नान हुआ सिंगार हुआ उसके बाद भगवान के समक्ष पूजन किया गया उसके पश्चात 56 प्रकार का जो भूख है रंजन बना हुआ था उनके समक्ष रखा गया उसके बाद आरती हुई आरती तूफान भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया ।

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