अयोध्या
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वन गमन के दौरान जहां-जहां पड़े राम के चरण अब बताई जाएगी उसके महत्व की गाथा।

वन गमन के दौरान जहां-जहां पड़े राम के चरण अब बताई जाएगी उसके महत्व की गाथा।

इस विशेष स्तंभ पर अंकित है बाल्मीकि रामायण वर्णित श्लोक समेत चार भाषाओं में गाथा ।

अयोध्या के मणि पर्वत पर लगाए जाने वाला पहला स्तंभ राजस्थान से पहुंचा अयोध्या, हुआ पूजन अर्चन ।

वनवास के दौरान जिन-जिन स्थानों पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण पड़े थे अब उसकी गाथा स्तंभ के जरिए लोगों को बताई जाएगी राजस्थान के बलुआ पत्थर से बने इस विशेष स्तंभ पर संबंधित स्थान से संबंधित जानकारियां बाल्मीकि रामायण में वर्णित श्लोक और उसके अर्थ स्थानीय समय चार भाषा में लिखे हुए हैं इसकी शुरुआत अयोध्या की मणि पर्वत से होगी और यहां लगाए जाने वाला स्तंभ राजस्थान से अयोध्या पहुंच चुका है अयोध्या के कार सेवक पुरम में बाकायदा इस स्तंभ का पूजन अर्चन किया गया यह पूरी योजना श्री राम जन्मभूमि समिति के तत्कालीन अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल के नाम पर बने ट्रस्ट ने तैयार की है और वही उसके खर्च का जिम्मा भी उठाएगा राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस ट्रस्ट के सदस्य हैं लिहाजा दोनों ट्रस्टों बीच बेहतर समायोजन से या पूरी योजना तैयार की गई है ।

अयोध्या पहुंचने के बाद इस शिला खंड का बाकायदा पूजन किया गया देशभर के 290 स्थान पर लगाए जाने वाले इन स्तंभों में से पहले स्तंभ अयोध्या पहुंचा है जिसे सबसे पहले मणि पर्वत पर स्थापित किया जाएगा इसके बारे में मान्यता है कि माता सीता यहां कभी झूला झूला करती थे इन स्तंभों पर उक्त स्थान से संबंधित जानकारियां स्थानीय भाषा समेत चार अलग-अलग भाषाओं में लिखी होगी इसके बावजूद अगर किसी को उसे स्थान से संबंधित अतिरिक्त जानकारी चाहिए तो इस पर अंकित एक बार कोड को स्कैन करना होगा इसके बाद संबंधित स्थान का विस्तृत विवरण सामने आएगा ।

मनोज तिवारी ( ट्रस्टी अशोक सिंघल फाउंडेशन ) ..श्री राम वन गमन पर यह सारे पत्थर लगने हैं, 290 स्थान चिन्हित हुऐ है अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक उन सभी स्थानों पर एक-एक पत्थर लगने हैं, जहां-जहां प्रभु राम वन गमन मार्ग पर गए थे, जहां उन्होंने अपना थोड़ा सा भी समय बिताया था उस स्थान की जो महत्वता है वह उस पर इंगित है कोई भी उसे पढ़ना चाहे तो बहुत सारे ऐसे स्थान है जहां पर लोग जाते हैं जानते हैं जहां पर प्रभु गए लेकिन वहां पर कोई पहुंचा नहीं अभी तक टूरिज्म की दृष्टि से भी देखें भक्तों की दृष्टि से देखें तो अभी वह ओझल है तो हमारा यह मानना है कि संस्था ने जो संकल्प लिया है कि उन सभी स्थानों पर चिन्हित किया जाए और टूरिज्म के हिसाब से उसे चिन्हित किया जाए जो लोग है जो भक्त है जो श्री राम के सिर्फ भारत में ही नहीं पूरे विश्व में है वह यहां से लेकर रामेश्वरम तक दिव्या यात्रा को देखें कि किस विकट परिस्थिति में उसे समय उसे समय गए होंगे प्रभु श्री राम वह चीज वहां पर निर्धारित करी है पत्थर की अगर विशेषता की बात की जाए तो पत्थर हमारा बलुआ पत्थर निर्मित है लगभग 1000 वर्ष इसकी आयु है चार-चार भाषाओं में इसमें हर जगह की विशेषताओं को लिखी गई है हिंदी अंग्रेजी संस्कृति और एक स्थानीय भाषा एक कर कोड भी लगाया गया है जैसे कि इसमें संक्षिप्त विवरण है और अगर हम इसको इससे ज्यादा कुछ पढ़ना चाहते हैं तो कर कोड को स्कैन करेंगी वेबसाइट पर पहुंचेंगे और विस्तार से पढ़ सकेंगे।

इन राम स्तंभों की गणना आयकर विभाग से सेवा निवृत रामावतार शर्मा के शोध पर आधारित है जिन्होंने एक नहीं अनेक बार अयोध्या से रामेश्वरम तक अलग-अलग वाहनों के जरिए यात्रा की और इस पर एक विस्तृत शोध किया यह शोध 40 वर्षों तक चला कहा जाता है कि वन गमन के समय श्री राम दशरथ महल से निकलने के बाद सबसे पहले मणि पर्वत पर रुके थे इसीलिए स्तंभ स्थापित करने की प्रक्रिया यही से शुरू की जा रही है ।

मनोज तिवारी ( ट्रस्टी अशोक सिंघल फाउंडेशन ) .जो हमने बताया कि डॉक्टर रामावतार शर्मा जी ने 40 वर्षों का शोध कर है एक स्थान पर लगभग 10 बार गए हैं स्वयं पैदल चल के गए हैं स्कूटर से गए हैं तो उन्होंने सारी चीज गूगल मैपिंग के जरिए श्री रामचरितमानस और जो सबसे सिद्ध प्रसिद्ध है वाल्मीकि रामायण उस संदर्भ लिया गया है सारी चीजों का अब देखेंगे जो स्तंभ पर जो उसकी विशेषता लिखी है उसमें संबंधित श्लोक लिखा है साथ यह भी लिखा हुआ है किसी श्लोक में यह व्याख्या है कि यहां पर वह आए थे तो रामचरितमानस के भी श्लोक आपको मिलेंगे और आपको बाल्मीकि रामायण के भी श्लोक मिलेंगे इस तरह से मणि पर्वत पहला पड़ाव था मणि पर्वत रोकने के बाद फिर वह आगे बढ़े और तमशा तट पर पहुंचे थे सबको पता होगा कि रात उन्होंने वहां गुजरी इसलिए बड़ा स्थान हो गया पहले बार दशरथ महल से निकले तो मणि पर्वत पहुंचें थे

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