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दो-राष्ट्र सिद्धांत

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने एक बार फिर से ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ को महत्व देते हुए इस पर जोर दिया है। उनका कहना है कि यह सिद्धांत पाकिस्तान और भारत के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं को समझने में महत्वपूर्ण है। जनरल मुनीर ने पाकिस्तान के ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ को सामने रखते हुए कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व और उसकी राष्ट्रीय पहचान इसी सिद्धांत पर आधारित है।

दो-राष्ट्र सिद्धांत के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अलग हैं। पाकिस्तान के लिए यह सिद्धांत 1947 में भारत के विभाजन का आधार बना था, जब मुस्लिम बहुल इलाकों को पाकिस्तान के रूप में अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली थी। जनरल मुनीर ने इस सिद्धांत का बचाव करते हुए कहा कि पाकिस्तान के अस्तित्व और उसकी स्वतंत्रता के लिए यह सिद्धांत बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह सिद्धांत पाकिस्तान की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, और इस पर समझौता नहीं किया जा सकता।” इसके साथ ही जनरल मुनीर ने पाकिस्तान के सैनिक बलों के महत्व को भी रेखांकित किया, जिन्होंने इस सिद्धांत के आधार पर देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।

भारत-पाकिस्तान रिश्ते के संदर्भ में यह बयान एक बार फिर से दोनों देशों के बीच जारी तनाव और विवादों को ताजे कर देता है। हालांकि, जनरल मुनीर ने अपनी बातों में यह भी कहा कि पाकिस्तान हमेशा शांति और सुरक्षा की ओर अग्रसर है, लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों और सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं करेगा।

इस बयान के बाद, पाकिस्तान के आंतरिक और बाहरी मामलों में चर्चा का माहौल गर्म हो गया है, खासकर भारत के साथ रिश्तों के संदर्भ में। जनरल मुनीर के बयान से पाकिस्तान की सैन्य नीति और उसकी विदेश नीति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच की जटिलता को और बढ़ा सकते हैं।

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