
7 मई 2025 को, भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन में राफेल जेट्स का उपयोग करते हुए जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के 9 प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में लगभग 90 आतंकवादी मारे गए और कई घायल हुए। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह कार्रवाई “सटीक, जिम्मेदार और गैर-उकसावे वाली” थी, जिसका उद्देश्य केवल आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना था।
मसूद अजहर के परिवार के 14 सदस्य मारे गए, ऑपरेशन सिंदूर में बड़ा खुफिया निशाना
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस एयरस्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के परिवार के 14 सदस्य मारे गए हैं। यह कार्रवाई पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) और पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर की गई थी।
खास बातें:
- मसूद अजहर के रिश्तेदार जैश के एक प्रशिक्षण शिविर में मौजूद थे, जो ऑपरेशन के टारगेट में शामिल था।
- मारे गए लोगों में उसके दो भतीजे, एक भाई और अन्य करीबी शामिल हैं।
- भारतीय खुफिया एजेंसियों को पहले से सूचना थी कि जैश के रणनीतिक नेता अपने परिवार के साथ एक ठिकाने पर रुके हुए हैं।
विश्वसनीय खुफिया सूचना के आधार पर की गई कार्रवाई” – कर्नल सोफिया कुरैशी
सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने अहम जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर ही अंजाम दिया गया।
कर्नल कुरैशी ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“हमारी खुफिया एजेंसियों को ठोस और समयबद्ध सूचना मिली थी कि आतंकवादी गुट सीमावर्ती इलाकों में बड़ी साजिश रच रहे हैं। उसी के आधार पर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, जिसमें केवल आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया।”
किसी सैनिक ठिकाने को नहीं बनाया गया निशाना” – कर्नल सोफिया कुरैशी
कर्नल सोफिया कुरैशी स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन के दौरान किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया, बल्कि आतंकी संगठनो के प्रशिक्षण केंद्रों पर सटीक हमला किया गया।
कर्नल कुरैशी ने जानकारी दी:
“ऑपरेशन सिंदूर के तहत मारा गया स्थान ‘मरकज सुभानअल्लाह’ था, जो जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मुख्यालय था। वहां आतंकियों को हथियार चलाने, रणनीति बनाने और आत्मघाती हमलों की ट्रेनिंग दी जाती थी। यह एक कट्टरपंथी केंद्र था, न कि कोई सैन्य ठिकाना।”
मुख्य तथ्य:
- “मरकज सुभानअल्लाह” जैश-ए-मोहम्मद का केंद्रीय ट्रेनिंग कैंप था।
- एयरस्ट्राइक पूरी तरह आतंकियों के खिलाफ केंद्रित थी।
- न तो कोई पाकिस्तानी सैन्य संरचना लक्ष्य बनी और न ही किसी नागरिक की मृत्यु हुई।
कर्नल कुरैशी ने यह भी जोड़ा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन को इस तरह से अंजाम दिया कि नागरिक इलाकों या प्रतिष्ठानों को कोई नुकसान न पहुंचे। यह एक सटीक और नियंत्रित सैन्य कार्रवाई थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए पूरा किया गया।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान द्वारा यह दावा किया गया कि भारत ने नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। कर्नल कुरैशी की यह सफाई उन सभी दावों को खारिज करती है।
मुंबई हमले से जुड़े आतंकी ठिकानों पर भी गिराया गया कहर – कर्नल सोफिया कुरैशी
कर्नल कुरैशी ने बताया कि:
“मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर में हमारे चार जवान शहीद कर दिए गए थे। जांच में सामने आया कि उनके हत्यारे पाकिस्तान के आतंकी कैंपों में प्रशिक्षित किए गए थे। इन्हीं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के तहत ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया।”
उन्होंने आगे कहा:
“हमने उन प्रशिक्षण शिविरों को भी टारगेट किया जो 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड्स से जुड़े हुए थे। यह सिर्फ बदले की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि आतंक की जड़ों को समाप्त करने की रणनीतिक पहल थी।”
मुख्य बिंदु:
- ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पुराने और सक्रिय ठिकानों को ध्वस्त किया गया।
- मुंबई हमले में शामिल आतंकियों के समर्थन नेटवर्क पर भी करारा प्रहार किया गया।
- ऑपरेशन में हाई वैल्यू टारगेट्स की पहचान पहले से कर ली गई थी।
कर्नल कुरैशी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ थी, और इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए अंजाम दिया गया।
यह बयान उस रणनीतिक सोच को रेखांकित करता है जिसके तहत भारत अब आतंकवाद को सिर्फ सहन नहीं कर रहा, बल्कि उसकी जड़ पर प्रहार कर रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा रही सर्वोच्च प्राथमिकता – कर्नल सोफिया कुरैशी
सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने स्पष्ट किया है कि इस ऑपरेशन के दौरान निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा को सबसे ऊंची प्राथमिकता दी गई।
कर्नल कुरैशी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा:
“ऑपरेशन सिंदूर को अत्यंत सावधानी और खुफिया सूचनाओं के आधार पर अंजाम दिया गया। हमने विशेष ध्यान रखा कि कोई भी आम नागरिक हानि न पहुंचे। आतंकवादियों के ठिकानों को ही लक्ष्य बनाया गया, जिससे हमले सीमित और प्रभावशाली रहें।”
मुख्य बिंदु:
- ऑपरेशन में शामिल सभी टारगेट्स की पहले से पुष्टि की गई थी।
- केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
- पीओके और सीमावर्ती पाकिस्तानी इलाकों में 9 से अधिक आतंकवादी शिविर तबाह।
- लगभग 90 आतंकवादी मारे गए।
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने पुरुष बटालियन के साथ यूएन मिशन में नेतृत्व किया था। उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि भारतीय सेना आतंक के खिलाफ सख्त है, लेकिन मानवाधिकारों और नागरिक सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह सजग है।
ऑपरेशन सिंदूर, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए थे। भारत ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाकर यह सख्त संदेश दिया है कि आतंक के पनाहगाह अब सुरक्षित नहीं रहेंगे।