
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला बयान दिया है। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान अब भारत के साथ युद्ध नहीं चाहता, बल्कि बातचीत और शांतिपूर्ण हल का रास्ता अपनाना चाहता है।
यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त तेवर दिखाए थे। भारत की ओर से सिंधु जल संधि पर भी दो टूक रुख अपनाया गया, जिसके चलते पाकिस्तान अब नरमी दिखाने को मजबूर हो गया है।
ख्वाजा आसिफ ने साफ शब्दों में कहा कि अगर युद्ध हुआ तो उसका नुकसान दोनों देशों को झेलना पड़ेगा। पाकिस्तान का नया रुख बताता है कि वह अब तनाव नहीं, संवाद चाहता है। यह पाकिस्तान के उस पुराने रुख से बिल्कुल उलट है, जब वह भारत को बार-बार परमाणु युद्ध की धमकियां देता था।
सिंधु जल संधि पर बातचीत का संकेत
ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि के मसले पर भारत और विश्व बैंक के साथ संवाद करना चाहता है। भारत ने हाल ही में पाकिस्तान को इस मुद्दे पर लापरवाही और बार-बार होने वाले हमलों को लेकर चेतावनी दी थी। इसके बाद पाकिस्तान का यह नरम बयान आया है।
विश्व बैंक ने भी दोनों देशों से संयम बरतने और संधि के पालन पर जोर दिया है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव और अपनी घरेलू आर्थिक स्थिति को देखते हुए अब भारत से टकराव नहीं बढ़ाना चाहता।
मोदी सरकार की सख्ती का असर
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने में बड़ी सफलता पाई है। आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति और कूटनीतिक दबाव के चलते पाकिस्तान को अब अपने तेवर नरम करने पड़ रहे हैं।
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और IMF जैसी संस्थाओं से मदद की उम्मीद कर रहा है। ऐसे में भारत से खुला संघर्ष उसके लिए भारी पड़ सकता है। यही कारण है कि अब पाकिस्तान शांति और समझौते की बात कर रहा है।
🔔 निष्कर्ष (Conclusion):
ख्वाजा आसिफ का यह बयान पाकिस्तान के बदले हुए नजरिए का संकेत देता है। आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव असली है या फिर महज अंतरराष्ट्रीय दबाव में किया गया एक कूटनीतिक प्रयास।
