मनरेगा घोटाले में लिप्त सचिव, तकनीकी सहायक और प्रधान के खिलाफ डीएम ने दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश
मनरेगा घोटाले में लिप्त सचिव, तकनीकी सहायक और प्रधान के खिलाफ डीएम ने दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश
5 लाख 83 हजार 798 रुपये की होगी रिकवरी, कागजों में काम दिखाकर सरकारी धन का किया दुरुपयोग
गोंडा जनपद में जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत भ्रष्टाचारियों के प्रति कठोर कार्यवाही का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) घोटाला में संलिप्त पाए गए ग्राम पंचायत अधिकारी, तकनीकी सहायक और प्रधान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए गए हैं। आरोपियों से 5 लाख 83 हजार 798 रुपये की रिकवरी भी की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बीती 12 जून को जनपद गोंडा की कमान संभाली है। तभी से लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है। बीते दिनों सामने आए मामलों में कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज कराने से लेकर संबंधितों के निलंबन तक जैसे कठोर कार्यवाही की गई हैं।
शिकायत पर हुआ खुलासा
मामला इटियाथोक विकासखण्ड की दुल्हमपुर ग्राम पंचायत का है। ग्राम समदा निवासी मनोज कुमार यादव की तरफ से शिकायती प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर ग्राम पंचायत दुल्हमपुर के प्रधान व सचिव द्वारा कराए गए कार्यों की जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया गया था। प्रधान व सचिव पर कागजों में काम करा भुगतान किए जाने के आरोप लगाए गए थे। इसके आधार पर बीती 15 मई 2023 को उपायुक्त स्वतः रोजगार व सहायक अभियंता लघु सिंचाई को जांच के लिए नामित किया गया। 28 जून को प्रस्तुत रिपोर्ट में ग्राम प्रधान और सचिव को दोषी पाया गया। इसके आधार पर आरोपियों को अपना पक्ष रखने का भी अवसर दिया गया। तीन महीने का समय मिलने के बाद भी आरोपियों द्वारा कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं उपलब्ध कराया गया।
जांच में यह सच आया सामने
उपायुक्त स्वतः रोजगार व सहायक अभियंता लघु सिंचाई की जांच में सामने आया कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत ग्राम पंचायत दुल्हमपुर, विकासखण्ड इटियाथोक में बड़का के घर से प्राथमिक विद्यालय दुल्हमपुर तक खण्डजा कार्य और नान्हे पुत्र राम प्रसाद का पशु शेड निर्माण कार्य सिर्फ कागजों में ही दिखाकर सरकारी धन की बंदर बांट कर ली गई। खण्डजा कार्य का स्थनीय सत्यापन करने पहुंची टीम को कार्य की पत्रवली तक उपलब्ध नहीं कराई गई। यहां तक की कार्य स्थल भी नहीं दिखाया जा सका।
इनसे होगी वसूली
तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी पंकज कुमार मौर्या, तत्कालीन तकनीकी सहायक दिनेश दत्त शुक्ल और तत्कालीन ग्राम प्रधान ऊषा देवी को दोषी पाए जाने पर इनसे वसूली किए जाने के आदेश दिए गए हैं। इन सभी से 1 लाख 94 हजार 599 रुपये यानी कुल 5 लाख 83 हजार 798 रुपये की वसूली की जाएगी। साथ ही, जिलाधिकारी ने खण्ड विकास अधिकारी इटियाथोक को संबंधित थाने में इनके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के भी आदेश दिए हैं।