स्टेट बैंक के सामने आत्मदाह करने वाले युवक की दूसरे दिन लखनऊ के अस्पताल में हुईं मौत, इसकी सूचना मिलते ही परिजनों में मचा कोहराम
स्टेट बैंक के सामने आत्मदाह करने वाले युवक की दूसरे दिन लखनऊ के अस्पताल में हुईं मौत, इसकी सूचना मिलते ही परिजनों में मचा कोहराम
गोंडा। बुधवार को बेरोजगारी से त्रस्त स्टेट बैंक से लोन न मिलने से परेशान युवक ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। गुरुवार को लखनऊ मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।
थाना इटियाथोक क्षेत्र के गांव सरहरा पाण्डेयपुरवा निवासी बेरोजगार दिव्यराज पाण्डेय पुत्र मुन्ना लाल पाण्डेय ने बुधवार को स्टेट बैंक आफ इंडिया की मुख्य शाखा से लोन न मिलने से परेशान होकर उसी के सामने स्वयं को आग लगाकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। गुरुवार को मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसका सुचना मिलते ही परिजनों कोहराम मच गया। इसी गांव के निवासी उसके दूसरे साथी युवक प्रदीप कुमार पुत्र विश्वनाथ उसको बचाने के चक्कर में झुलसकर घायल हो गया।
इसे सरकारी योजनाओं की नाकामी कहा जाय या जिले के बैंक अधिकारियो में व्याप्त कमीशनखोरी के मकड़जाल में उलझकर आम इन्सान आत्मदाह या आत्महत्या जैसे दिल दहला देने वाले कदम उठाने को लेकर मजबूर हो जाता है। ग्रामीणों के मुताबिक जिले के ज्यादातर युवा बेरोजगारी की समस्या से त्रस्त है। इसी के चलते दौड़ भागकर परेशान होने के बाद नौकरी मिलने की आस छोड़कर अपना व्यवसाय करने की सोच लेकर बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन करता है। वहीं से उसके साथ कमीशनखोरी को लेकर सौदेबाजी शुरू हो जाती है और उन्हें बार बार दौड़ाकर बैंक अधिकारियों द्वारा परेशान किए जाने के सिलसिले प्रारम्भ हो जाते है।
बैंक के दलाल आसपास की चाय पान की दुकानों पर घूमते रहते है। जब तक उनके माध्यम से बैंक अधिकारियों से सेटिंग नहीं हो जाती उसे लोन नहीं मिल पाता है। जिनकी कमीशनखोरी को लेकर दलाल के माध्यम से बैंक अधिकारियों से सेटिंग हो जाती है उनका लोन भी जल्दी पास हो जाता है और जिनकी नहीं हो पाता उनका लोन कभी भी पास नहीं हो पाता है। अपने जीवन के सपनों को टूटता देख बेरोजगार युवक अंततः थकहारकर आत्मदाह व आत्महत्या जैसे दिल दहला देने वाले कदम उठाने को विवश हो जाता है।
बुधवार को जिले में हुई यह घटना इसकी मात्र बानगी भर है। जिले के युवाओं में बेरोजगारी का यह आलम है कि उनका दैनिक जीवन गुजर बसर करना बहुत मुश्किल हो गया है। बैंकों में व्याप्त कमीशनखोरी व दलालों के मकड़जाल में उलझकर जिले का युवा दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है। सभी को बैंकों से आसानी से लोन मिलना टेढ़ी खीर हो गया है। जबकि केन्द्र व राज्य सरकारें युवाओं को स्वरोजगार करने के लिए अनेक प्रकार योजनाएं चला रही है लेकिन सभी बैंकों की चौखट पर आकर दम तोड दे रही है।