
📌 समाचार सारांश (हिंदी में):
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा (अजित पवार गुट) के नेता अजित पवार ने पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर पुणे में आयोजित रैली में अपने और अपने सहयोगियों के भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होने के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने कहा, “हम नेता हैं, संत नहीं” — यह बयान उन्होंने विपक्ष में बैठकर केवल आलोचना करने के बजाय शासन और नीति निर्माण में भाग लेने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए दिया।
अजित पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका और उनके सहयोगियों का निर्णय पार्टी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को त्यागने का नहीं था। उन्होंने पार्टी के सामाजिक सुधारकों जैसे शहाजी महाराज, ज्योतिबा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राकांपा ने पहले भी विचारधारात्मक समझौतों का पालन किया है, जैसे 2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन।
इस बीच, शरद पवार गुट की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने स्पष्ट किया कि उनका गुट अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ विलय करने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे आगामी नगर निगम चुनावों की तैयारी में जुट जाएं और पार्टी के सिद्धांतों से समझौता न करें।
इस प्रकार, राकांपा में चल रही आंतरिक कलह और दोनों गुटों के बीच विचारधारात्मक मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।