
हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय पार्श्वगायक सोनू निगम एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह उनकी आवाज़ नहीं, बल्कि बेंगलुरु में हुए एक लाइव कॉन्सर्ट के दौरान उपजे विवाद हैं। कन्नड़ भाषा को लेकर उठे इस विवाद के बाद सोनू निगम पर एफआईआर दर्ज की गई थी, और अब उन्होंने कर्नाटक की जनता से माफी मांगते हुए एक भावुक पोस्ट साझा किया है।
🎙 सोनू निगम का स्पष्ट संदेश: “मेरा प्यार तुम्हारे लिए, मेरे अहं से बड़ा है”
सोनू निगम ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर लिखा:
“माफ करना कर्नाटक। तुम्हारे लिए मेरा प्यार मेरे अहंकार से बड़ा है। मैं हमेशा तुमसे प्यार करता रहूंगा।”
इस बयान के साथ उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने हमेशा कन्नड़ भाषा, संगीत और वहां के लोगों को सम्मान दिया है। वे न केवल कर्नाटक बल्कि दुनियाभर में विभिन्न भाषाओं को सम्मान देते आए हैं।
📜 क्या है विवाद?
1 मई को बेंगलुरु में हुए एक लाइव शो में जब सोनू निगम से कन्नड़ में गाने की अपील की गई, उसी दौरान कुछ स्थानीय युवकों द्वारा उन पर दबाव बनाने और धमकाने का प्रयास किया गया। सोनू निगम ने मंच से पहलगाम आतंकी हमले का भी ज़िक्र किया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अवलाहल्ली पुलिस ने सोनू निगम को नोटिस भेजते हुए पूछताछ के लिए तलब किया है। उनके खिलाफ कन्नड़ भाषा और संस्कृति का अपमान करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।
📢 सोनू निगम का विस्तृत बयान
सोनू निगम ने कहा:
“मैं 51 साल का एक अनुभवी कलाकार हूं। मंच पर मुझे मेरे बेटे जितने छोटे लड़के ने धमकाया। मेरे पास गानों की तय लिस्ट थी ताकि तकनीकी टीम तालमेल बिठा सके, लेकिन फिर भी मुझ पर दबाव बनाया गया। मैंने शो में विनम्रता दिखाई, समझाया कि मैं कन्नड़ में गाऊंगा – लेकिन मुझे कार्यक्रम अपनी योजना के अनुसार करने दें।”
उन्होंने आगे कहा:
“मैं उन लोगों से घृणा करता हूं जो भाषा, जाति या धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं। मैंने कॉन्सर्ट में एक घंटे से भी ज्यादा समय तक कन्नड़ में गाने गाए – यह सब सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।”
सोनू निगम ने कर्नाटक पुलिस और न्याय प्रणाली पर विश्वास जताते हुए कहा कि वे हर सहयोग करेंगे और कर्नाटक से उन्हें जो स्नेह मिला है, वह उसे जीवनभर सहेज कर रखेंगे।
यह विवाद अब सिर्फ भाषाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय बहस का विषय बन चुका है – जहां एक कलाकार, कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए खड़ा है, वहीं भाषा और क्षेत्रीय पहचान को लेकर संवेदनशीलता भी सामने आ रही है।