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गिरफ्तारियों के बाद भड़की हिंसा, कर्फ्यू और इंटरनेट बंद

क्या है पूरा मामला?

मणिपुर की पहले से संवेदनशील जातीय स्थिति एक बार फिर विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गई है। 7 जून 2025 को मैतेई समुदाय से जुड़े संगठन ‘अरंबाई टेंगोल’ (Arambai Tenggol) के कुछ नेताओं की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में हिंसा भड़क उठी।

गिरफ्तारी का विरोध इतना उग्र हो गया कि इंफाल और बिष्णुपुर जिलों की सड़कों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर जलाए, बसों को आग के हवाले कर दिया और सरकारी वाहनों पर पथराव किया।


📍 प्रमुख घटनाएं (Timeline):

  • 7 जून, रात: अरंबाई टेंगोल के दो नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया
  • 8 जून, सुबह: इंफाल पूर्व में सड़कों पर भारी प्रदर्शन शुरू
  • 8 जून, दोपहर: एक बस में आग लगाई गई; दो प्रदर्शनकारी घायल
  • 8 जून, शाम: बिष्णुपुर और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू घोषित
  • 9 जून, सुबह: इंफाल घाटी के पांच जिलों में इंटरनेट सेवा निलंबित

🛑 स्थिति का आकलन:

  • कर्फ्यू लागू: बिष्णुपुर और इंफाल वेस्ट में 24 घंटे का कर्फ्यू लागू
  • इंटरनेट बंद: इंफाल घाटी के पांच जिलों में मोबाइल डेटा और ब्रॉडबैंड बंद
  • सुरक्षा: RAF, CRPF और स्थानीय पुलिस की तैनाती में इज़ाफा
  • जनता में डर: लोग घरों में बंद हैं; बाजार पूरी तरह बंद

🗣️ राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज:

राज्य के कई मैतेई विधायक पुलिस कार्रवाई को “एकतरफा” बता रहे हैं। कुछ ने आरोप लगाया है कि केवल मैतेई संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि कुकी समूहों पर कार्रवाई नहीं हो रही।

कई विधायकों ने गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग की है, जिससे तनाव और भी बढ़ गया है।


🗨️ सरकारी प्रतिक्रिया:

मणिपुर प्रशासन:
“राज्य की कानून व्यवस्था को बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो।”

सूचना और जनसंपर्क विभाग:
“स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अस्थायी इंटरनेट बंदी और कर्फ्यू लागू किया गया है। नागरिकों से संयम बनाए रखने की अपील की जाती है।”


📷 जमीनी हालात:

  • इंफाल में स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद
  • सड़कें सुनसान, सेना और पुलिस का फ्लैग मार्च
  • मीडिया को भी कुछ इलाकों में रिपोर्टिंग से रोका गया

🚨 निष्कर्ष:

मणिपुर एक बार फिर जातीय तनाव की आग में झुलस रहा है। अगर जल्द ही संवाद और संतुलित कार्रवाई नहीं हुई, तो स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है। राज्य सरकार और केंद्र पर अब दबाव है कि वह स्थिति को जल्द शांत करें और दोनों पक्षों में भरोसा बहाल करें।

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