
भारत, जो 2025 के अंत तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, बेरोज़गारी की समस्या से जूझ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे वह जापान को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर आ जाएगा।
हालांकि यह आर्थिक उपलब्धि महत्वपूर्ण है, लेकिन वास्तविकता यह है कि बेरोज़गारी दर में गिरावट का प्रभाव समान रूप से महसूस नहीं हो रहा है। सरकार ने लोकसभा में बताया कि 2019-20 में 15-29 आयुवर्ग में बेरोज़गारी दर 15% थी, जो 2023-24 में घटकर 10.2% हो गई।
लेकिन ये आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं दिखाते। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बेरोज़गारों में से 83% युवा हैं, और इनमें से अधिकांश शिक्षित हैं।
इसके अलावा, भारत की श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) भी बढ़ रही है, जो दर्शाता है कि लोग नौकरी की तलाश में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो रही है, लेकिन बेरोज़गारी की समस्या का समाधान अभी भी चुनौतीपूर्ण है। यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन और कौशल विकास की दिशा में भी ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।