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दिल्ली-एनसीआर में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल

नई दिल्ली।
दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को अचानक हुए ब्लैकआउट और सायरनों की आवाज़ों ने कई लोगों को हैरान कर दिया। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं थी—यह सब भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा आयोजित ‘ऑपरेशन अभ्यास’ का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य संभावित हवाई हमलों या आपातकालीन परिस्थितियों में नागरिकों और प्रशासन की तैयारियों को परखना था।

इस मॉक ड्रिल में दिल्ली के 11 जिलों के 55 स्थानों पर 60 एयर रेड सायरन बजाए गए। पूरे इलाके में 10 मिनट का ब्लैकआउट किया गया, ताकि असल परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया होगी, इसका सटीक मूल्यांकन किया जा सके।

ड्रिल के दौरान नागरिक सुरक्षा के स्वयंसेवकों, फायर ब्रिगेड, दिल्ली पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने मिलकर विभिन्न आपातकालीन परिदृश्यों की रिहर्सल की। लोगों को बताया गया कि ऐसी स्थिति में उन्हें किस तरह सतर्क रहना चाहिए और किन प्राथमिक कदमों का पालन करना चाहिए।

मॉक ड्रिल के दौरान आम नागरिकों की भूमिका बेहद अहम होती है। नीचे बताए गए दिशा-निर्देशों को अपनाकर आप न केवल खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि दूसरों की मदद भी कर सकते हैं:

बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • 🔍 अधिकारियों की रणनीतियों को समझें:
    यह जानने की कोशिश करें कि किस तरह से महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को छिपाया जाता है या सुरक्षित किया जाता है। इससे आप आपातकालीन परिस्थितियों की गंभीरता को समझ पाएंगे और बेहतर प्रतिक्रिया दे सकेंगे।
  • 🛣️ निकासी मार्गों और सुरक्षित स्थानों की पहचान करें:
    अपने आसपास मौजूद निकासी रास्तों, शेल्टर या सुरक्षित स्थानों को पहले से जान लें ताकि आप किसी भी परिस्थिति में भ्रमित न हों।
  • 🧭 निर्देशित मार्गों का पालन करें:
    मॉक ड्रिल या आपात स्थिति में केवल उन रास्तों का उपयोग करें जो प्रशासन या सुरक्षा अधिकारियों द्वारा सुझाए गए हों।
  • 🤝 जरूरतमंदों की मदद करें:
    बुजुर्गों, बच्चों और विकलांग व्यक्तियों की मदद करें। ऐसे समय में इंसानियत सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • 🧘‍♂️ शांत रहें और निर्देशों का पालन करें:
    अफवाहों से बचें और केवल अधिकारियों, वालंटियर्स या सिविल डिफेंस मार्शलों द्वारा दिए गए निर्देशों को ही मानें।

🔊 सायरन का मतलब जानिए: खतरे के संकेत को समय पर समझना है जरूरी

आपातकालीन स्थितियों में सायरन सिर्फ एक आवाज़ नहीं, बल्कि एक कोडेड मैसेज होता है। नागरिकों की सुरक्षा के लिए इन सायरनों का सही अर्थ समझना बेहद जरूरी है:

🚨 सायरन कोड और उनका मतलब

  1. पहला सायरन: “खतरे का अलर्ट” – सतर्क हो जाएं
    जैसे ही पहला सायरन बजे, यह संकेत होता है कि कोई संभावित खतरा है। इस समय पर आप सावधान हो जाएं, टीवी/रेडियो या किसी भी सूचना स्रोत से अपडेट लेते रहें।
  2. दूसरा सायरन: “तत्काल सुरक्षित स्थान पर जाएं”
    यह संकेत है कि खतरा नज़दीक है और अब तुरंत एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचना जरूरी है। किसी आश्रय (shelter), बंकर या निर्धारित सेफ ज़ोन में शांति से चले जाएं।
  3. तीसरा सायरन: “खतरा टल गया है, लेकिन सतर्क रहें”
    यह अंतिम सायरन बताता है कि खतरा समाप्त हो चुका है, लेकिन स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है। इस समय आप स्थान पर बने रहें और अगले निर्देशों का इंतज़ार करें।

यह अभ्यास देश के अन्य प्रमुख शहरों—मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद—में भी एक साथ किया गया। दिल्ली में हुए इस अभ्यास को लेकर आम जनता के बीच जागरूकता फैलाने और सुरक्षा तंत्र की ताकत को परखने के उद्देश्य से इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा तैयारियों को लेकर संवेदनशीलता और अधिक बढ़ गई है। ऐसे में इस तरह की मॉक ड्रिल न केवल प्रशासन बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक जरूरी सीख है।

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