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डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने अमेरिका को चेतावनी दी

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि “मित्र देशों पर जासूसी करना स्वीकार्य नहीं है”। यह बयान उस समय आया है, जब यह रिपोर्ट सामने आई कि अमेरिका ने ग्रीनलैंड पर जासूसी की कोशिश की थी। ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है, इसकी सुरक्षा और संप्रभुता पर हमेशा से डेनमार्क का नियंत्रण है। इस घटना के सामने आने के बाद, डेनमार्क सरकार ने स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड को किसी भी कीमत पर बेचा नहीं जाएगा और न ही उस पर किसी अन्य देश की जासूसी करने की अनुमति दी जाएगी।


अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड पर जासूसी का मामला:

रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने ग्रीनलैंड में सैन्य और खुफिया गतिविधियों को निगरानी में लिया था। डेनमार्क ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि एक मित्र राष्ट्र के खिलाफ इस तरह की जासूसी को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने इस बारे में कहा कि, “हम अपने दोस्तों से विश्वास और सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी देश, विशेष रूप से जो हमारा सहयोगी है, हमारे बारे में ऐसी कार्रवाई नहीं करेगा।”


अमेरिकी प्रतिक्रिया और कानूनी कार्रवाई का डर:

इस जासूसी विवाद पर अमेरिकी अधिकारियों ने भी प्रतिक्रिया दी है। टुलसी गैबर्ड, जो कि अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक हैं, ने इन रिपोर्टों को लेकर कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि यह गोपनीय जानकारी की लीक है और किसी भी लीक करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना था कि यह मामले केवल ग्रीनलैंड तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और मित्र देशों के रिश्तों पर गंभीर असर डाल सकते हैं।


नॉर्वे का रुख:

इस मुद्दे पर नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोहनस गाहर स्टॉरे ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आर्कटिक क्षेत्र की संप्रभुता और सुरक्षा से संबंधित किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को न केवल ग्रीनलैंड, बल्कि समग्र अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और क्षेत्रीय मानदंडों के विरुद्ध माना जाएगा। उन्होंने इसे एक गंभीर चेतावनी के रूप में लिया और इसे वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा।


डेनमार्क की रणनीतिक स्थिति:

इस घटनाक्रम के बाद डेनमार्क ने फिर से स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड की संपत्ति और सुरक्षा पर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने जोर देते हुए कहा कि ग्रीनलैंड में किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि और जासूसी के खिलाफ डेनमार्क हमेशा खड़ा रहेगा। साथ ही, डेनमार्क ने अन्य सहयोगी देशों से अपेक्षा की कि वे सुरक्षा और संप्रभुता के मामलों में पूर्ण ईमानदारी और पारदर्शिता दिखाएं।

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