
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हर साल की तरह ईद-उल-जुहा के मौके पर रेड रोड (इंदिरा गांधी सरणी) पर नमाज की तैयारियां की जा रही थीं, लेकिन इस बार सेना ने यहां होने वाली नमाज के लिए अनुमति नहीं दी है। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था, तब हाईकोर्ट ने नमाज की अनुमति दी थी। यह नमाज दशकों से होती आ रही है और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हर साल ईद-उल-फ़ित्र की नमाज के दौरान इस आयोजन में शामिल होती रही हैं। हालांकि, इस बार अनुमति न मिलने के कारण सड़क पर नमाज नहीं होगी। मुस्लिम कमेटी ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है और फिर से कोर्ट जाने की संभावना जताई है।ABP Live+1Navbharat Times+1
इससे पहले, हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति के लिए भी सेना से इजाज़त मिली थी, लेकिन कोलकाता पुलिस ने इजाज़त नहीं दी। आयोजक कोलकाता हाईकोर्ट भी गए, लेकिन वहां से भी इजाज़त नहीं मिली थी।Live Hindustan+1Navbharat Times+1
विश्लेषण:
रेड रोड पर ईद-उल-जुहा की नमाज की अनुमति न मिलने से मुस्लिम समुदाय में निराशा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का प्रतीक भी है। पिछले साल भी जब अनुमति नहीं मिली थी, तब हाईकोर्ट ने नमाज की अनुमति दी थी, लेकिन इस बार सेना की ओर से अनुमति न मिलने से स्थिति जटिल हो गई है।
मुस्लिम कमेटी का कहना है कि दशकों से यह आयोजन शांतिपूर्वक होता आ रहा है, और इसे रोकना उचित नहीं है। अब यह देखना होगा कि मुस्लिम कमेटी कोर्ट का रुख करती है या अन्य विकल्पों पर विचार करती है।
इस मामले में राज्य सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द की बात की है, और यह समय है जब उन्हें इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।
कुल मिलाकर, यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता, सांप्रदायिक सौहार्द और प्रशासनिक निर्णयों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर करता है।