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पाकिस्तान को झटका


📌 पृष्ठभूमि:

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) हुई थी। इस समझौते के तहत भारत ने पश्चिम की तीन प्रमुख नदियों – सिंधु, झेलम और चिनाब – का जल उपयोग करने का अधिकार पाकिस्तान को दिया था, जबकि भारत को पूर्व की तीन नदियों – रावी, ब्यास और सतलुज – का पूर्ण अधिकार मिला।

पिछले कुछ वर्षों से भारत में इस संधि को लेकर असंतोष रहा है, खासकर जब पाकिस्तान द्वारा भारत-विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद को समर्थन देने की घटनाएं बढ़ी हैं। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया।


🏛️ सरकार की नई रणनीति:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की हाल ही में हुई महत्वपूर्ण बैठक में यह फैसला लिया गया कि भारत अब इस संधि को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। बैठक में तीन चरणों में कार्य योजना बनाई गई है:


🔁 तीन चरणों में होगी संधि समाप्ति की प्रक्रिया:

1️⃣ पहला चरण – त्वरित कार्यवाही (Short Term Action):

  • पाकिस्तान को जाने वाले पानी की निगरानी और सीमित आपूर्ति की जाएगी।
  • भारत के हिस्से के जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए नहरों और जलाशयों की दिशा बदली जाएगी।

2️⃣ दूसरा चरण – बुनियादी ढांचे का निर्माण (Mid Term Action):

  • नए बांध और जलाशय बनाए जाएंगे ताकि पानी को भारतीय क्षेत्र में रोका जा सके।
  • चिनाब और झेलम नदियों पर जल-प्रबंधन परियोजनाओं को गति दी जाएगी।

3️⃣ तीसरा चरण – नीति और संधि में बदलाव (Long Term Action):

  • सिंधु जल संधि को कानूनी रूप से समाप्त करने या उसमें पुनर्निर्धारण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया जाएगा।
  • कूटनीतिक स्तर पर वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान की दोहरी नीति से अवगत कराकर भारत के रुख का समर्थन हासिल करने का प्रयास होगा।

💬 सरकारी सूत्रों की बात:

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “अब समय आ गया है कि हम 60 साल पुरानी व्यवस्था को फिर से परखें। पाकिस्तान के साथ पानी जैसी संवेदनशील चीज़ पर सौहार्द बनाए रखना तब तक व्यर्थ है जब वह आतंकवाद का समर्थन करता रहे।”


📨 पाकिस्तान को दी गई सूचना:

जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तज़ा को पत्र लिखकर भारत के फैसले की जानकारी दी है कि अब भारत सिंधु जल संधि को प्रभावी रूप से निष्क्रिय करने की दिशा में काम करेगा।

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