लाइव अपडेट
Trending

बिना लोकल मदद के मुमकिन नहीं था हमला

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद पूरा देश स्तब्ध था। अब इस घटना से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों द्वारा पकड़े गए OGW (Overground Worker) ने कैमरे पर स्वीकार किया है कि यह हमला स्थानीय सहयोग के बिना संभव नहीं था


OGW कौन होता है?

OGW यानी Overground Worker वह व्यक्ति होता है जो सीधे हथियार नहीं उठाता, लेकिन आतंकवादियों को हर स्तर पर सहायता, सूचना और संसाधन प्रदान करता है। वह आतंकियों की आँख और कान होता है, जो सेना की गतिविधियों, स्थानीय प्रशासन की हलचलों और आम लोगों की गतिविधियों पर नजर रखता है।


क्या कहा OGW ने? — “डरने की इजाजत नहीं, जो बोला जाए करना है”

पकड़े गए OGW ने पूछताछ के दौरान साफ कहा:

“आतंकी बोलते हैं कि डरने की कोई इजाजत नहीं है। जो कहा जाए, उसे हर हाल में करना है। हमें बताया जाता है कि कौन-सी जानकारी देनी है — जैसे फोर्स कहां है, पेट्रोलिंग कब और कहां होती है, और कौन से वाहन आ-जा रहे हैं। हम वो सब आतंकियों को बताते हैं।”

इस कबूलनामे से साफ हो गया है कि हमला पूरी तरह से स्थानीय इनपुट और मदद से अंजाम दिया गया था।


OGW की भूमिका पहलगाम हमले में

OGW ने यह भी कबूला कि उसने:

  • इलाके में टूरिस्ट्स की आवाजाही की जानकारी आतंकियों को दी।
  • पैरा मिलिट्री फोर्स की मूवमेंट, उनके ठहरने की जगह और समय का विवरण पहुंचाया।
  • हमले के लिए रास्ता और सुरक्षित निकलने का रास्ता सुझाया।

इस जानकारी के दम पर आतंकी बिना किसी बड़ी रुकावट के हमला करने और फरार होने में सफल रहे।

OGW की भूमिका और युवाओं के लिए संदेश

OGW ने बताया कि आतंकवादी अपने सर्कल से ऐसे युवकों को चुनते हैं जो मानसिक रूप से तैयार हों, डरते न हों और उनकी मदद कर सकें। उन्हें निर्देश दिया जाता है कि जो कहा जाए, उसे हर हाल में करना है। OGW ने यह भी बताया कि वे सेना और पुलिस की मौजूदगी की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाते हैं ताकि वे सही समय पर हमला कर सकें。

OGW ने यह भी बताया कि वे सेना और पुलिस की मौजूदगी की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाते हैं ताकि वे सही समय पर हमला कर सकें। इस कबूलनामे से साफ हो गया है कि हमला पूरी तरह से स्थानीय इनपुट और मदद से अंजाम दिया गया था。

इंटरव्यू के अंत में, उसने कश्मीरी युवाओं को एक स्पष्ट संदेश देते हुए कहा:

“इन सब चीजों में मत पड़ो। या तो मारे जाओगे या जेल जाओगे। अगर बच भी गए तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।”

यह बयान उन युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो आतंकवादियों के बहकावे में आकर उनके लिए काम करने की सोचते हैं। OGW ने बताया कि आतंकवादी अपने सर्कल से ऐसे युवकों को चुनते हैं जो मानसिक रूप से तैयार हों, डरते न हों और उनकी मदद कर सकें। उन्हें निर्देश दिया जाता है कि जो कहा जाए, उसे हर हाल में करना है। OGW ने यह भी बताया कि वे सेना और पुलिस की मौजूदगी की जानकारी आतंकियों तक पहुंचाते हैं ताकि वे सही समय पर हमला कर सकें。

जांच एजेंसियों की सक्रियता

OGW के कबूलनामे के बाद सुरक्षा एजेंसियां और अधिक सतर्क हो गई हैं। NIA और अन्य जांच एजेंसियां OGW नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। पहलगाम हमले के बाद से अब तक कई OGW को हिरासत में लिया जा चुका है और उनसे पूछताछ जारी है。

पहलगाम हमला केवल आतंकियों की योजना नहीं थी, यह स्थानीय नेटवर्क की गहरी जड़ें और कमजोर सुरक्षा व्यवस्था का नतीजा भी था। OGW का कबूलनामा उन सभी खतरों की पुष्टि करता है जिनकी आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी।

यह अब सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की नहीं, समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह ऐसे तत्वों को पहचानकर उनसे दूरी बनाए और देश की अखंडता को बनाए रखने में मदद करे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share